क्यों ना अस्तित्व को चाय की चुस्कियों में घोल दे
तेरे शब्दों की दुर्घटनाए
मेरी जीभ का फिसलना
मेरे कल का भरम
और
हमारी चेतना का झगड़ा
क्या पता
हमें मौका दे दे
वक़्त की इस बईमानी चाल के खिलाफ ,
अस्तित्व की एक आदत है
पुराने लोहे की तरह
इसे जंग हर हाल में लगता है
रेशमी बिस्तर हो
या फुटपाथ हो
यार की बाहें हो
या फिर
अकेले रहने का शौंक ,
अस्तित्व
या घिसता है
या घुलता है
या फिर जंग लगता है ,
प्याज की तरह है
छिलके उतरते जायेंगे अंत तक
हाथ कुछ नहीं आएगा
सिवा एक कडवी गंध के सिवा ,
`चाय की चुस्कियों के साथ तुम कुछ बातें करो
हमारा वक़त से झगडा है
इस से पहले
ये हमें गुजारे
हम इसे गुजारते हैं
तेरे शब्दों की दुर्घटनाए
मेरी जीभ का फिसलना
मेरे कल का भरम
और
हमारी चेतना का झगड़ा
क्या पता
हमें मौका दे दे
वक़्त की इस बईमानी चाल के खिलाफ ,
अस्तित्व की एक आदत है
पुराने लोहे की तरह
इसे जंग हर हाल में लगता है
रेशमी बिस्तर हो
या फुटपाथ हो
यार की बाहें हो
या फिर
अकेले रहने का शौंक ,
अस्तित्व
या घिसता है
या घुलता है
या फिर जंग लगता है ,
प्याज की तरह है
छिलके उतरते जायेंगे अंत तक
हाथ कुछ नहीं आएगा
सिवा एक कडवी गंध के सिवा ,
`चाय की चुस्कियों के साथ तुम कुछ बातें करो
हमारा वक़त से झगडा है
इस से पहले
ये हमें गुजारे
हम इसे गुजारते हैं