जगह जगह की तंग गलियों से गुजरा
लोगो की मानसिकता से खुजलाया अपना सर
टीलों की सफ़ेद धुप से
जब हुयी दाढ़ी सफ़ेद
तब जाना जिन्दगी का मतलब .
परन्तु जहाँ जहाँ नानक गया था
वहां खतपतवार की तरह
दाढ़ी मूंछे ही क्यों पैदा हुयी
नानक क्यों नहीं
लोगो की मानसिकता से खुजलाया अपना सर
टीलों की सफ़ेद धुप से
जब हुयी दाढ़ी सफ़ेद
तब जाना जिन्दगी का मतलब .
परन्तु जहाँ जहाँ नानक गया था
वहां खतपतवार की तरह
दाढ़ी मूंछे ही क्यों पैदा हुयी
नानक क्यों नहीं
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