TRANSLATING A POEM- A REQUEST BY KAMALA DAS
जब मैं मरुँ
फैंकना मत
मांस और हड्डियाँ
बल्कि ढेर लगा देना
और उन्हें बोलने देना
उनकी बदबू के जरिये ,
इस धरती के ऊपर
जीवन का मोल क्या था ,
अंत में
प्यार का मोल क्या था
जब मैं मरुँ
फैंकना मत
मांस और हड्डियाँ
बल्कि ढेर लगा देना
और उन्हें बोलने देना
उनकी बदबू के जरिये ,
इस धरती के ऊपर
जीवन का मोल क्या था ,
अंत में
प्यार का मोल क्या था
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