ROUGHLY A POEM
Friday, 29 March 2013
खुरदरी कविता
तुझे न समझने के प्रयास में ,
तुझे समझने का मौका मिला
उग नहीं जाता जैसे
मटर का पौधा
घर के पिछवाड़े
जहाँ
बूढी नौकरानी
अपने कागजी और सिकुड़े हाथों से
मैले कपडे धोती है
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