कमरे में चादर और ख्वाबों में उलझा
बेवक्त बे वजह उल्साया रहता था बिस्तर पे
कल अहसास हुआ
जब चौराहे पे आधा घंटा बस का इंतज़ार करना पड़ा
जिन्दगी सड़क के दोनों तरफ
बीडियों के धुएं , गर्द से भरे कुल्चों
और साइकिल के लगते पंक्चर के साथ साथ
बिना किसी शिकन के
इस नंगी धुप में
गरम सासों से
वक़्त के साथ चल रही
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