जब ये अहसास हो जाता है की
आपने अपने आप को धोखा दिया है
फिर आप एक अंतिम रसम निभाते हो
किसी उदास कोने में सटकर बैठते हो
पाँव से लेकर सर तक
एक झनझनाहट अनुभव करते हो
और एक सांस में तब तक रोते हो
जब तक
अपना चेहरा घुल नहीं जाता धुंधलेपन में
और अपने भीतर से
सात्वना की कोई आवाज नहीं सुन लेते
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