ROUGHLY A POEM
Wednesday 23 April 2014
रोटी
गरीबों के सिर्फ पेट होता है
वो सिर्फ रोटी को जानता है
मक्की की रोटी
बाज़रे की रोटी
बेसन की रोटी
ये सब जीभ के स्वाद है
अमीरों के जीभ होती है
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