दो चार भाषण
सामाजिक असमानता पे
देने के बाद
बुद्धिजीवी
घर की तरफ लौटता है
अपनी हौंडा सिटी गाडी पे ,
रास्ते भर बस यही सोचता है
कोई भी उस की तरह नहीं सोचता ,
उसकी भड़ास निकलती है
गुब्बारे बेचने वाले पे
जो गुनाह कर लेता है
उस से पहले सड़क पार करने का ,
घर आते माली को बोलता है
वो खाने की चीज़े न छुआ करे ,
माली ने उसके सरकारी बगीचे में
फूलों के बीच छुपाकर
एक आक का पौधा लगा रखा है
जिस दिन मालिक औकात की बात करता है
वो सबसे जयादा पानी
इस आक के पौधे को डालता है ,
आक की जड़ों में खड़े पानी में
माली का बेटा
उन भाषण वाले पन्नो की कश्तियाँ बना के चलाता है
सामाजिक असमानता पे
देने के बाद
बुद्धिजीवी
घर की तरफ लौटता है
अपनी हौंडा सिटी गाडी पे ,
रास्ते भर बस यही सोचता है
कोई भी उस की तरह नहीं सोचता ,
उसकी भड़ास निकलती है
गुब्बारे बेचने वाले पे
जो गुनाह कर लेता है
उस से पहले सड़क पार करने का ,
घर आते माली को बोलता है
वो खाने की चीज़े न छुआ करे ,
माली ने उसके सरकारी बगीचे में
फूलों के बीच छुपाकर
एक आक का पौधा लगा रखा है
जिस दिन मालिक औकात की बात करता है
वो सबसे जयादा पानी
इस आक के पौधे को डालता है ,
आक की जड़ों में खड़े पानी में
माली का बेटा
उन भाषण वाले पन्नो की कश्तियाँ बना के चलाता है
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