Saturday, 24 August 2013

कभी कभी

कभी कभी जी में आता है 
खोल दूँ आस्मां के सारे सिरे 
और झांक कर देख लूँ 
उस पार 
इस छत के पीछे 
कौनसा भगवान् बैठा है 

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