ज्यादातर
जिन्दगी
दिनों को काटने की चीज़ रही है
केवल
एक ज्ञानेंद्रियों का विषय
शरीर को घेरे हुए
वास्तव में
दूसरों के शब्दों को दोहराते हुए
और उनके काम करते हुए
जिन्हों ने वो काम पहले ही कर दिया
सिर्फ
एक पल का मुद्दा
और फिर भी
कभी कभी
हाथ से दूर
अबोध्य
समय के एक पल की भांति
विशालता का एक स्वास
महानता की एक झलक
जो आदमी को जिन्दा रखती है
दुसरे हजारों घंटे जिन्दगी में
जो जायदातर
एक चीज़ है दिनों को काटने की
SRINIVAS RAYAPROL
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