Thursday, 22 August 2013

TRANSLATING SRINIVAS RAYAPROL

ज्यादातर 
जिन्दगी  
दिनों को काटने की चीज़ रही है 

केवल 
एक ज्ञानेंद्रियों का विषय 
शरीर को घेरे हुए 

वास्तव में 
दूसरों के शब्दों को दोहराते हुए 
और उनके काम करते हुए 
जिन्हों ने वो काम पहले ही कर दिया 

सिर्फ 
एक पल का मुद्दा 
और फिर भी 
कभी कभी 
हाथ से दूर 
अबोध्य
समय के एक पल की भांति 

विशालता का एक स्वास 
महानता की एक झलक 
जो आदमी को जिन्दा रखती है 
दुसरे हजारों घंटे जिन्दगी में 
जो जायदातर 
एक चीज़ है दिनों को काटने की 
SRINIVAS RAYAPROL

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