ROUGHLY A POEM
Tuesday 26 March 2013
खुरदरी कविता
तुम इस छिपकली जैसी जीभ से
जब मीठे शब्द बोलते हो
यूँ लगता है किसी के जूते पोलिश करते हो
तेरी आवाज़ में
पुराने मौजो की गंद आती है
जो शब्द तेरे बोलने से पहले ही
तेरे थूक में डूब जाते हैं
असल में वो तेरी औकात है
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