Monday 15 April 2013

प्रयोगवादी


बाहर  सड़क पे 
एक जैसे 
हरे पत्तो वाले दरख्तों के बीच 
एक दरखत ऐसा भी है 
जो 
खून  जैसे पत्तो से लथपथ 
सर उठाकर खड़ा है 
वो क्रांतकारी 
और प्रयोगवादी लगता है 
और इधर 
 एक कमरे के कोने में 
बैठे एक व्यक्ति की ,
 जिसने कई किताबे लिख डाली ,
 प्रतिक्रिया
 एक बन्दर से भी कम है 

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